यादों के झरोखे से " हम सबको खुश रख सकते हैं क्या? "
" हम सबको खुश रख सकते हैं " यह पढ़कर और सुनकर मेरी तरह आप सबको भी अच्छा लगता होगा ना लेकिन आप सब ने एक बार तो यह जरूर सोचा होगा कि क्या यह संभव है ???
दोस्तों! मैं भी चाहती हूॅं कि सब मुझसे खुश रहें । मैं सबको खुश रख सकूॅं लेकिन ऐसा संभव ही नहीं है । एक को खुश करने के चक्कर में दूसरा नाराज़ हो जाता है । कितनी भी अपनी तरफ से कोशिश करती हूॅं लेकिन सबको खुश नहीं रख पाती हूॅं । मेरे बच्चों को ही देख लीजिए मेरी लाडो ( मेरी बेटी ) कहती है कि आप तो बाबू ( मेरा बेटा ) को ही ज्यादा प्यार करती हो , वह जो भी कहता है वह पूरी करने की कोशिश करती हो । मुझे डाॅंटती रहती हो उसे कुछ नहीं कहती । यही सेम टू सेम बात मेरा लाडेसर ( मेरा बेटा ) मुझसे कहता है । आप दीदी को मुझसे ज्यादा प्यार करती हो उसे डाॅंटती नहीं ।
दोस्तों ! हम सब जानते है कि सब माता- पिता अपने बच्चों से समान प्यार करते हैं, चाहे वह एक हो या उससे अधिक। मैं भी अपने दोनों बच्चों से समान प्यार करती हूॅं । मैंने उनमें कभी भी किसी चीज का भेद भाव नहीं किया । दोनों को ही खुश रखने की कोशिश करती हूॅं । दोनों को ही खुश करने के लिए उनके अनुसार मैं उन्हें समझाती भी हूॅं। वें समझ भी जाते हैं लेकिन कुछ दिनों बाद जब उनकी आपस में लड़ाई होती है तो मुझे वही बातें फिर से सुनाने लगते हैं । उनकी बातें सुन कर मुझे लगने लगता है कि वह मुझसे खुश नहीं हैं 😔😔
परिवार में और भी रिश्ते है जिन्हें मैं खुश रखने की पूरी कोशिश करती हूॅं कुछ खुश भी होते हैं पर सब नहीं होते । 😔😔
इसकारण मैं भी उदास हो जाती हूॅं लेकिन अगले ही पल अपने मन को नकारात्मक भाव से निकाल कर सकारात्मक भाव में लाने की कोशिश करती हूॅं क्योंकि मेरा मानना है कि मन में लगातार नकारात्मक भाव होने से हम दूसरों का तो कम अपने आप का ही नुकसान ज्यादा करते हैं ।
दोस्तों ! अब मैं आप सबको बताती हूॅं कि मैं अपने मन के भाव निगेटिव से पाॅजिटिव कैसे करती हूॅं ? जब भी मैं दुखी होती हूॅं तो अपने धर्मग्रंथों में लिखी बातों को याद करती हूॅं। मैंने जितने भी धर्मग्रंथों को पढ़ा है उसमें मैंने पढ़ा है कि वह सब तो भगवान के अवतार थे लेकिन जब उन्होंने मनुष्य योनि में जन्म लिया तो उनसे भी सब ख़ुश नहीं थे । मैं भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से ही कुछ उदाहरण देती हूॅं ।
दोस्तों! हम सभी जानते ही हो कि भगवान श्रीकृष्ण भगवान श्रीहरि अर्थात भगवान विष्णु के अवतार थे । उन्होंने जीवनपर्यंत धर्म की रक्षा के लिए कर्म किए। अपने कर्म का निर्वहन करने में कुछ लोग ऐसे थे जो उनसे खुश थे परन्तु उनके जीवन में ऐसे भी लोगों की कमी नहीं थी जो उनके द्वारा किए जा रहे कर्म और किए जा चुके कर्म के कारण उनसे खुश नहीं थे यानी भगवान श्रीकृष्ण से दुखी थे । यहाॅं तक कि जो उनसे खुश थे उन्होंने उन्हें कई नामों से पुकारा जिनमें कुछ नाम हैं :- मनमोहन , मनोहर , चितचोर , मुरलीधर , मुरली मनोहर , श्याम सुन्दर , सुदर्शन इत्यादि। जो उनसे खुश नहीं थे अर्थात दुखी थे उन्होंने भी भगवान श्रीकृष्ण को कई नाम दिए जिनमें कुछ खास नाम है :- रणछोड़ , छलिया आदि ।
दोस्तों ! जब इस संसार के लोगों को भगवान होते हुए भी श्रीकृष्ण नहीं खुश कर पाएं तो आप सब और मैं तो साधारण मानव हैं । हमसे सब कैसे खुश रह सकते हैं ?? यही सब सोच कर मेरा मन प्रफुल्लित हो जाता है और मेरे मन के भाव निगेटिव वेव्स से हटकर पाॅजिटिव वेव्स की तरफ मुड़ जातें हैं और मैं यह जानते हुए कि मैं हर समय सबको खुश नहीं रख पाऊॅंगी फिर से अपने बच्चों और परिवार को खुश करने में जुट जाती हूॅं । 😊
दोस्तों ! यादों के झरोखे में इस बात ने इसलिए कब्जा कर रखा है क्योंकि ये बातें मेरे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता आया है और आगे भी रखेगा। आगे भी फिर से मुलाकात होगी तब तक के लिए 👇
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻" बाय "🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
" गुॅंजन कमल " 💓💞💗
Varsha_Upadhyay
16-Dec-2022 06:57 PM
बहुत खूब
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Mahendra Bhatt
16-Dec-2022 05:36 PM
शानदार
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Sachin dev
12-Dec-2022 07:31 PM
Amazing
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